lyrics shiv chalisa Fundamentals Explained

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नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्तवास शिवपुर में पावे ॥

स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः ।

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सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।

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अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी more info आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।

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नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

अयोध्यादास आस कहैं तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

अर्थ- हे भोलेनाथ आपको नमन है। जिसका ब्रह्मा आदि देवता भी भेद न जान सके, हे शिव आपकी जय हो। जो भी इस पाठ को मन लगाकर करेगा, शिव शम्भु उनकी रक्षा करेंगें, आपकी कृपा उन पर बरसेगी।

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